दिनकर उदित, पवन प्रमुदित,
मुरझाईं पंखुरियां सुजीवित,
विहग पंख प्रहार कर उड़े उछल,
अहा! आनंद-क्षण है प्रत्येक पल।
व्योम में तिरंग नील-चक्र फहरा रहा,
प्रतीक पुंज आज़ाद ध्वज लहरा रहा,
शत कोटि भारतवासी गा रहें,
मुक्ति-गीत स्वराज की सुना रहें।
अधरों पर, पलकों पर, शिखाओं पर,
तैर रही सेनानियों की गाथाओं पर,
स्नेह चुम्बन, दृग-जल वंदन, श्रद्धा-सुमन,
तर्पण-अर्पण, रोम-रोम-कण-कण, संपूर्ण समर्पण!
आशा-पूर्ण ह्रदय का मन, स्वदेश हो अग्रतम,
सुषुप्त देशवाशियों! उठो! करो कठिन परिश्रम,
जातिदोष उन्मूलन, नारी-शक्ति आह्वाहन,
राष्ट्र-निर्माण-कार्य को करो नित चिंतन-गहन।